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लेखांकन की बुनियादी ज्ञान :-


आधारभूत लेखांकन शब्द-
(BASIC ACCOUNTING TERMS)

व्यापार क्या है? (What is Business?)
व्यापार एक आर्थिक गतिविधि (economic activity) है, जिसे कोई व्यक्ति या संगठन किसी भी प्रकार के माल (Goods) का उत्पादन और वितरण अपने ग्राहक को संतुष्ट करते हुए, लाभ कमाने के उद्येश्य से करता है। तब यह कार्य उस व्यक्ति या संगठन के लिए व्यापार या व्यवसाय कहलाता है।

पूँजी क्या है? (What is Capital?)
पूँजी उस धनराशि या माल को कहा जाता है, जिसे व्यवसाय का स्वामी व्यवसाय में लगाता है। इसी राशि से व्यवसाय प्रारंभ किया जाता है।

Business में दो प्रकार के पूँजी लगे होते है-

  1. निजी पूँजी (Owned Capital)- वह राशि या साधन जो व्यवसायी का निजी हो, owned capital कहलाता है।
  2. उधार लिया हुआ पूँजी (Loaned Capital)- वह राशि या साधन जो व्यवसायी किसी दुसरे व्यक्ति या संगठन से उधार लिया हो, loaned capital कहलाता है।

लाभ क्या है? (What is Profit?)
लाभ = विक्रय मुल्य - क्रय मुल्य
अर्थात, जब किसी हववके के खरीदे गये मुल्य से अधिक बिक्री मुल्य हो, तब लाभ होगा।
हानि क्या है? (What is Loss?)
लाभ = क्रय मुल्य - विक्रय मुल्य
अर्थात, जब किसी हववके के खरीदे गये मुल्य से कम बिक्री मुल्य हो, तब हानि होगा।

नोट:- हानियाँ पूँजी को घटाती है।

Price और Value

  • Value = Price x Quantity
  • Price = Value ÷ Quantity

उदाहरण के लिए- यदि 5 kg goods का value 80 है, तो उस goods का price 16 प्रति kg होगा।

आहरण क्या है? (what is Drawings?)
व्यापार का स्वामी अपने निजी प्रयोग के लिए जो माल या रोकड़ (cash) व्यापार से निकालता है, उसे ‘आहरण’ कहा जाता है।

लेनदार, महाजन या ऋणदाता (Creditors)-
जब व्यवसायी किसी व्यक्ति, संस्था, फर्म या कम्पनी से उधार माल या रोकड़ लेता है, तब वह व्यक्ति, संस्था, फर्म या कम्पनी उस व्यवसायी का लेनदार, महाजन या ऋणदाता कहलाता है।

देनदार, कर्जदार या ऋणी (Debotors)-
जब व्यवसायी किसी व्यक्ति, संस्था, फर्म या कम्पनी को उधार माल या रोकड़ देता है, तब वह व्यक्ति, संस्था, फर्म या कम्पनी उस व्यवसायी का देनदान, कर्जदार या ऋणी कहलाता है।

आगम (Revenue)
Business में नियमित रुप से प्राप्त होने वाले आय या आवर्तीं को revenue कहा जाता है।

आय (Income)
Revenue में से Expenses घटाने पर जो शेष बचता है, उसे Income कहा जाता है।
Income = Renvenue - Expenses

व्यय (Expenses)
Revenue की प्राप्ति के लिए प्रयोग की गई वस्तुओं एवं सेवाओं की लागत को Expenses कहते है।
व्यय के उदाहरण-

  • Sale किये गये goods की लागत।
  • वेतन, किराया, मुद्रण एवं लेखन सामग्री।
  • विज्ञापन व्यय, कमीशन।
  • ब्याज, ह़ास आदि।

सम्पत्तियाँ (Assets)-
सम्पत्तियों से आशय के व्यवसाय के आर्थिक स्त्रोत से है, जिन्हें मुद्रा में व्यक्त किया जा सकता है। जिसका मूल्य हो और जिनका उपयोग व्यापार के संचालन व आय अर्जन के लिए किया जाता है। इस प्रकार सम्पत्तियाँ वे स्त्रोत हैं जो भविष्य में लाभ पहूँचाते है।

उदाहरण के लिए-
मशीन, भूमि, भवन, फर्नीचर, रोकड़ आदि।

सम्पत्तियों के प्रकार-

  • स्थायी सम्पत्तियाँ (Fixed Assets)- व्यवसाय में Fixed Assets लंबे समय तक रखी जाने वाली होती है, और जो पुनः विक्रय के लिए नहीं हो।
    उदाहरण के लिए-
    भूमि, भवन, मशीन आदि।
  • चालू सम्पत्तियाँ (Current Assets)- Current Assets पुनः विक्रय के लिए या कम समय में रोकड़ में परिवर्तित करने के लिए रखी जाती है।
    उदाहरण के लिए- स्टाॅक, देनदार, रोकड़, प्राप्य बिल, पूर्वदत्त व्यय आदि।
  • मूर्त सम्पत्तियाँ (Tangible Assets)- वैसी सम्पत्तियाँ जिन्हें देखा तथा छुआ जा सकता है, अर्थात जिसका भौतिक अस्तित्व हो, मूर्त सम्पत्तियाँ कहलाताी है।
    उदाहरण के लिए- भूमि, भवन, मशीन, रोकड़ आदि।
  • अमूर्त सम्पत्तियाँ (Intangible Assets)- वैसी सम्पत्तियाँ जिन्हें देखा तथा छुआ नहीं जा सकता है, अर्थात जिसका भौतिक अस्तित्व न हो, अमूर्त सम्पत्तियाँ कहलाताी है।
    उदाहरण के लिए- ख्याति (Goodwill), पेटेण्ट्स (Patent), काॅपीराइट (Copyright), ट्रेडमार्क (Trademark) आदि।

दायित्व (Liabilities)-
वह धन, जो व्यावसायिक उपक्रम को दुसरों को देना है, दायित्व कहा जाता है। जैसे- लेनदार, देय बिल, ऋण आदि।

खर्च (Expenditure)-
Assets, Goods या Service प्राप्त करने के लिए किया गया कोई भी भुगतान अथवा सम्पत्ति हस्तान्तरण खर्च कहलाता है।

माल (Goods)-
जिन वस्तुओं का कोई व्यापारी व्यापार करता है, वह उसका ‘माल’ कहलाता है। जैसे- यदि कोई व्यापारी कपड़ा का व्यवसाय करता है तो कपड़ा उसका ‘माल’ कहलायेगा। जब किसी वस्तु का निर्माण या क्रय, बिक्री करने के उद्येश्य से होता है तो वह वस्तु ‘माल’ कही जाती है।

लागत (Cost)-
लागत वह राशि है जो किसी विशेष वस्तु, उत्पाद अथवा क्रिया पर खर्च की गई हो अथवा की जानी हो।

रहतिया, स्कन्ध या स्टाॅक (Stock)-
किसी दी गई तिथि पर बिना प्रयोग किया हुआ या बिना बिका हुआ जो goods या spare व्यावसायिक संस्था के पास रहती है, उसे stock कहा जाता है।

स्टाॅक को दो वर्गों में विभाजित किया जाता हैः-

  • प्रारम्भिक रहतिया (Opening Stock)- लेखांकन वर्ष के प्रारंभ में व्यवसाय के पास बिना बिके माल के मुल्य को Opening Stock कहा जाता है।
  • अन्तिम रहतिया (Closing Stock)- लेखांकन वर्ष के अन्त में व्यवसाय के पास बिना बिके माल के मुल्य को Closing Stock कहा जाता है।

इन्वेंटरी (Inventory)-
व्यवसाय में विक्रय हेतु रखी गई मूर्त सम्पत्ति को Inventory कहा जाता है। यह माल की एक सूची है।

क्रय (Purchases)-
व्यापारी जिस माल से व्यापार करता है, उसके खरीदने को क्रय कहा जाता है। यदि क्रय नकद किया जाता है तो नकद क्रय और यदि क्रय उधार किया जाता है तो उधार क्रय कहलाता है।

क्रय वापसी (Purchases Returns)-
माल को क्रय करने के बाद यह ज्ञात हो कि माल नमूने के अनुसार प्राप्त नहीं हुआ है या उसमें कोई दोष है या अन्य कोई कारण है तो जितना माल वापस कर दिया जाता है, उसे Purchases Returns कहा जाता है।

विक्रय (Sales)-
व्यापारी जिस माल से व्यापार करता है, उसकी बिक्री को विक्रय कहा जाता है। यदि बिक्री नकद होती है तो नकद विक्रय और उधार होती है तो उधार विक्रय कहलाती है।

विक्रय वापसी (Sales Returns)-
माल विक्रय हो जाने के बाद यदि माल का क्रेता यह समझता है कि उसको उस तरह का माल नहीं बेचा गया जिस तरह का माल उसे बेचने को वायदा किया गया था तो वह उस माल में से जितना खराब माल हो, उसको वापस कर देगा। बिके हुए माल की वापसी के अन्य कारण भी हो सकते है। अतः बिक्री करने के बाद जो माल वापस आ जाये, उसे बिक्री वापसी कहा जाता है।

छूट या कटौती (Discount)-
कभी-कभी व्यापारी अपने ग्राहकों से वस्तु का पूरा मूल्य न लेकर कुछ मूल्य छोड़ देते हैं अर्थात माल के मूल्य में कुछ रियायत (Concession) देते हैं। अतः जितना कम मूल्य लेते है, उसे Discount कहा जाता है।
जैसे- यदि 1,000 का सामान विक्रय किया जाये और ग्राहक से 900 ही पूर्ण भुगतानस्वरुप लिये जायें तो 100 Disount कहे जायेंगे।


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